तसव्वुफ़ हिस्सा दो

Khanqah e Chishtiya
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शेख की तलाश करते वक़्त, एक बहुत अच्छा शेख कोई भी करामत नहीं दिखा सकता। दूसरी ओर, करामत दिखाने वाले शख़्स को दीनी या मुसलमान होने की ज़रूरत नहीं है। मशहूर सूफी बायजीद बिस्तामी कहते हैं: "अगर आप किसी अलौकिक करतब दिखाने वाले को हवा में उड़ते हुए देखें तो धोखा न खाएं। उसे शरिया के पैमाने पर मापें।" जब आपको सही शेख मिल जाए और आप आप को उसकी करामातें समझ न आयें या आ जायें तभी आप बैत करते हैं। यह एक दो-तरफ़ा यक़ीन है; शेख शरिया के रोशनी में आपका सीरते मुस्तकीम का इशारा करता है और आप उसका अमल करते हैं।

तहम्मुल इन्सान को अक्ल़, सब्र वाला और साफ़ निगाह वाला बनाता है।अगर इन सब की कमी हो तो इन्सान जल्दी ही गुमराह हो जाता है। किसी इन्सान को ख़ूबसीरत (चरित्र) तभी माना जाएगा जब ये ख़ूबियां तहम्मुल और सब्र में हों। शक्ल की ख़ूबसूरती की तरह ही दिल भी पाक होना चाहिए । सबसे ख़ूबसूरत और ख़ूबसीरत पैगंबर (मुहम्मद सल्लाहो अलैहिस्सलाम) थे। 

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