उस विभाग को फ़िक़्ह कहते हैं जो बाहरी कामों जैसे नमाज़ और ज़कात से जुड़ा है जबकि दिल की अंदरूनी हालात और स्थितियों से जुड़े विभाग को तसव्वुफ़ कहते हैं। कुरान में दोनों का ज़िक्र है, "बेशक, जिसने दिल को साफ कर लिया वह कामयाब हो गया और जिसने इसे बर्बाद कर दिया वह हार गया।" इस तरह नमाज़ और ज़कात का हुक्म देते हुए कुरान अल्लाह के लिए कृतज्ञता और मुहब्बत का भी हुक्म देता है और घमंड और ग़ुरूर की बुराई को नकारता है। इसी तरह हदीस की किताबों में इबादत, व्यापार और वाणिज्य, विवाह और तलाक के अध्यायों के साथ-साथ रिया (दिखावा) तकब्बुर, अख़लाक आदि के अध्याय भी मिलते हैं। ये हुक्म बाहरी कामों से जुड़े हुक्म की तरह ही फ़र्ज़ हैं।
इस्लाम में सभी बाहरी करम दिल के सुधार के लिए बनाए गए हैं। यही ईमान की कामयाबी काआधार है। इसे ही तकनीकी रूप से तसव्वुफ़ के नाम से जाना जाता है । इसका मक़सद तहज़ीब-ए-अख़लाक़ है; इसका मक़सद अल्लाह को राज़ी करना है; इसका तरीका शरिया के हुक्म का मुकम्मल तौर पर मानता है।
तसव्वुफ़ इस्लाम की रूह है। इसका काम दिल को नफ़्स, ज़बान की बुराइयाँ, गुस्सा, द्वेष, ईर्ष्या, दुनियादारी, शोहरत, कंजूसी, लालच, दिखावा, घमंड, धोखा आदि नीच कामों से पाक करना है। साथ ही इसका मक़सद दिल को तौबा, धैर्य, कृतज्ञता, अल्लाह का डर, उम्मीद, परहेज़, तौहीद, भरोसा, प्यार, ईमानदारी, सच्चाई, वग़ैरह सच्ची ख़ूबियों से सजाना है।
दिल की बीमारियों के इलाज और हिकमत के लिए आम तौर पर एक विशेषज्ञ सलाहकार या शेख की मदद की ज़रूरत होती है। एक अच्छे शेख की ख़ूबियां ये हैं। (1) उसके पास ज़रूरी दीनी इल्म होता है। (2) उसके ऐतबार, आदतें और एख़लाक शरीयत के पाबन्द होते हैं। (3) वह दुनियावी दौलत के लिए लालच नहीं रखता। (4) उसने खुद एक अच्छे शेख से सीखने में वक्त बिताया है। (5) उसके वक़्त के आलिम और अच्छे मशाइख उसके बारे में अच्छी राय रखते हैं। (6) उसके तारीफ़ करने वाले ज्यादातर उन लोगों में से हैं जो दीन की अच्छी समझ रखते हैं। (7) उसके ज़यादा मुरीद शरीयत को अहमियत देते हैं और इस दुनिया के चाहने वाले नहीं हैं। (8) वह ईमानदारी से अपने मुरीदों को इल्म और पाबन्द तरीके से दर्स देने की कोशिश करता है। अगर वह उनमें कुछ गलत देखता है, तो वह उसे ठीक करता है। (9) उसकी सोहबत में इस दुनिया के लिए मुहब्बत में कमी और अल्लाह से लगाव में रहने की हिदायत देता है। (10) वह खुद पाबन्दी से ज़िक्र अल्लाह में मशग़ूल रहता है।
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