इस्म मुबारक :-अब्दुल क़ादिर जीलानी, अल-सय्यद मुहियुद्दी अबू मुहम्मद अब्दल क़ादिर जीलानी अल-हसनी वल-हुसैनी अब्दुल कादिर जिलानी
आप आक़ा सभी वलियों के सरदार हैं, दुनियां के जितने भी वली हैं उनके कंधों पर हुज़ूर ग़ौस आज़म अब्दुल क़ादिर ज़ीलानी का क़दम मुबारक है।
आप की पैदाइश :-11 रबी उस-सानी, 470 हिज्री, नाइफ़ गांव, जीलान जिला, इलम प्रान्त, तबरेस्तान, पर्शिया।
विसाल:-इराक़ 8 रबी अल अव्वल, 561 हिज्री शहर बग़दाद,
आप हम्बली सही फैसला करने वाले सूफ़ी थे,क़ादरियासूफ़ी सिलसिले की शुरूआत की।
हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी के वालिद का नाम
(Father) अबू सालेह मूसा अल-हसनी
अब्दुल कादिर जिलानी की वालिदा का नाम (माँ )उम्मुल खैर फ़ातिमा
• मदीना
• सादिक़ा
• मू’मिना
• महबूब
आप को जब बिस्मिल्लाह पढ़ाने के लिए मौलाना साहब ने कहां पढ़ो बिस्मिल्लाह तो आपने बिस्मिल्लाह कह कर 14पारे सुना दिये ये सुनकर मौलाना साहब हैरान हुए और पूछा तो आपने फ़रमाया कि जब मैं पैदा नहीं हुआ था तो मेरी वालिदा कुरान पाक पढ़ा करती थी और वही से मुझे यह पारे हिफ़्ज़ हो गए हैं तो मौलाना साहब ने कहा और आगे सुनाइए तो अब्दुल कादिर ने फरमाया के मेरी वालिदा को सिर्फ 14 पारे ही हिफ़्ज़ थे इसलिए मुझे 14 पारे ही हिफ़्ज़ थे यह वाक्या आपकी बचपन का है
शेख अब्दुल कादिर को अबू सईद मुबारक मखज़ुमी और इब्न अकिल के तहत हनबाली कानून पढ़ाया गया । उन्हें अबू मोहम्मद जाफर अल-सरराज द्वारा हदीस पर सबक दिए गए थे।
अपनी तालीम पूरी करने के बाद,हज़रत जीलानी ने बगदाद छोड़ दिया। उन्होंने इराक के रेगिस्तानी इलाकों में भटकने वाले के रूप में पच्चीस साल इबादत में बिताएं।
आपके ख़िताब :-आपको अलग अलग से नवाजा गया जिनमें कुछ यह है• शेख़
• अब्द अल क़ादिर्
• अल-जीलानी
(“जीलान से सम्बंधित”)
• मुहियुद्दीन
(“धर्म की पुनस्थापना करने वाले”)
• अल-ग़ौस अल-आज़म्
• (“मदद करने वाले”)
• सुलतान अल-औलिया
(“संतों के सुल्तान”)
• अल-हसनी अल-हुसैनी
(“इमाम हसन और इमाम हुसैन दोनों के वारिस)
क़ादिरिया सिलसिला
हज़रत मुहम्मदअमीर अल मोमिनीन अली इब्न अबी तालिब
शेख़ ख़वाजा हसन बसरी
शेख़ हबीब अजमी
शेख़ दाउद ताई
शेख़ मारूफ़ कर्खी
शेख़ सिर्री सक़्ती
शेख़ जुनैद अल-बग़दादी
शेख़ अबू बक्र शिब्ली
शेख़ अज़ीज़ अल तमीमी
शेख़ वाहिद अल तमीमी
शेख़ फ़राह तर्तूसी
शेख़ हसन क़ुरेशी
शेख़ अबू सईद अल मुबार मुकर्रमी
शेख़ सय्यद अब्दुल-क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह
अब्दुल कादिर जिलानी के ख़लीफ़ा
(1) ख़्वाजा शहाब अल-दीन सुहरवर्दी
(2) हज़रत अबू मदयान
(3) शाह अबू उमर क़ुरेशी मज़रूकी
(4) शेख़ क़रीब अल्बान मोसाली
(5) शेख़ अह्मद बिन मुबारक्
(6) शेख़ अबू सईद शिबली
(7) शेख़ अली हद्दाद
अगर कोई कभी भी किसी भी मुसीबत में हो और सच्चे दिल से कह दे या गौस अल मदद तो उसे गौस की मदद जरूर मिलती है अब्दुल कादर जीलानी को ग़ौस ए आज़म के नाम से भी जाना जाता है और या ग़ौस अल मदद कहने पर अकेले रास्ते में भी मदद मिल जाती है बशर्ते इंसान सच्चे दिल से या ग़ौसअल मदद पुकारे.
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम सब को अपने महबूब नूर ए मुज्जसम सल्लललाहो अलैह वसल्लम के सदके में पीराने पीर दस्त गीर , वलियों के इमाम का सदका अता फ़रमाए और
कुल मोमनीन को अपने हिफ़्ज़ ओ अमान में रखे।